27 Dec 2012

राजनीती


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इस राजनीती की शतरंज में 

मोहरे पल-पल बदलते हैं।

हरी-भूरी गिरगिट की भांति

नेता सब रंग बदलते हैं।।


आज जो विपक्ष में बैठा

हर पल शोर मचाता है।

हरे-हरे नोटों को देख

अलग ही राग सुनाता है।।


सत्ता का मोह है कुछ ऐसा

दायें को बाएं से मिलाता है।

काले-भूरे गिद्ध की भांति

बिचला भी चक्कर लगाता है।।


विचारधारा तो है लुप्त विचार

राजनीती अलग इक खेल है।

काले धन्दों, सफ़ेदपोश गुंडों का

हो चुका इसमें समावेश है।।

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Image Courtesy:
Pete Oxford / naturepl.com